
जैसा कि आपने पहले एपिसोड में देखा होगा कि किस तरह से मीत हुड्डा मंजरी बन कर मानुषी को अपने झांसे में उतार देती है , और मानुषी मीत की सब बात मानने लगती है। मंजरी और उसकी बुआ साथ मिलकर मानुषी से अपने बच्चे को वापस लेने का प्लान बनाते हैं। वह दोनों इस तरीके से प्लान बनाते हैं कि मीत हुड्डा का बच्चा उसे वापस मिल जाए मानुषी को भनक भी ना पड़े , और इलाहाबाद परिवार का चिराग भी उसे वापस मिल जाए। मीत हुड्डा ने अपने जीवन में बहुत से दुख भरे दर्द देखे हैं और सबसे बड़ा दुख तो यह है कि उसने अपने बच्चे को जन्म दिया और उस बच्चे को जन्म देने के बाद उसे अपने सीने से भी ना लगा सके उसकी बहन मानुषी ने उसे उसके बच्चे से अलग कर दिया जिसकी सजा मीत हुड्डा अपने ही घर में मंजरी बनकर रह कर काट रही है। उसके दर्द का अंदाजा कोई भी नहीं लगा पा रहा है।

मीत सिर्फ इसी भरोसे में बैठी हुई है कि एक ना एक दिन वह मानुषी से अपने बच्चे को वापस लेकर रहेगी । उस बच्चे को यह वह जन्म देने के बाद अपने गले भी ना लगा पाए ।मंजरी के इस प्लान में उसका पूरा साथ दे रही है बड़ोदरा की मंजरी की बुआ। इधर ईशा की सगाई की पूरी तरह से तैयारी हो चुकी है और ईशा की मां पापा अपने भाई के लॉकर से लक्ष्मी मां की मूर्ति बर्फी देवी को देने के लिए चुरा लाते हैं बर्फी देवी की इस शादी को लेकर दहेज के लिए रोज के नए-नए डिमांड और हाई क्लास के डिमांड ईशा के मां पापा को बहुत परेशान कर रहे हैं । पर अपनी बेटी की खुशी के लिए वाह बर्फी देवी के सभी मांगों को पूरी करने के लिए तैयार हो गए हैं।
लक्ष्मी मां की मूर्ति को लाते हुए मंजरी ईशा के मां पापा को देख लेती है, और जब उनसे पूछती है कि वह बर्फी देवी के इस दहेज की मांग को क्यों पूरा कर रहे हैं यह सब गलत है ऐसा मत करिए तो ईशा के पापा राम मंजरी से कहते हैं, कि तुम इस घर का हिस्सा नहीं हो तुम्हें इस घर के मामलों में दखल देने की कोई जरूरत नहीं है । तुम सिर्फ अपने काम से काम रखो बस। लेकिन मंजरी ईशा की मां पापा की बातें बर्फी देवी से करते हुए सुन लेती है , और कहती है कि वह जाकर घर में सबको सच बता देगी , कि आप लोग बर्फी देवी के एक-एक दहेज की मांग को पूरी कर रहे हैं आप उन्हें कितना दहेज दे रहे हैं । और वह चालबाज औरत आप लोगों को दहेज देने के लिए जोर डाल रही है यह सही नहीं है।

मंजरी समझाती है कि जिस तरह से आप उनको दहेज दे रहे हैं , उनकी कही हुई मांगों को आप पूरा करते जा रहे हैं यह पूरी तरह से गलत है । या ईशा को खुशी नहीं देगा बल्कि उसे और गहरी दलदल में धकेल रहा है , आप की जिंदगी बर्बाद मत करिए पर मंजरी की बात ईशा के मम्मी पापा नहीं सुनते हैं और उससे चुप रहने के लिए कहते हैं ।ईशा की मां कहती है कि मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूं तुम मेरी बेटी का रिश्ता बस हो जाने दो वैसे ही पहले भी मेरी बेटी का रिश्ता टूट चुका है । इस बार अगर उसकी शादी नहीं हुई तो वह बिल्कुल टूट जाएगी और हम उसे नहीं संभाल पाएंगे वह दीप से बहुत प्यार करती है और इन दोनों की शादी हो जाने दो मंजरी कहती है कि पर यह गलत है या इशा को खुशी नहीं देगा बल्कि उसकी जीवन को बर्बाद कर देगा।
पर मंजरी की इस बात पर कोई ध्यान नहीं देते हैं और वह दोनों दहेज देते ही जाते हैं और राम कहता है कि यदि तुम बाहर जाकर सबसे इस लक्ष्मी देवी की मूर्ति को देने की बात करोगी तो मैं जा कर यह सच अपने भाई को बता दूंगा कि तुम उनकी बहू मीत नहीं बल्कि उसकी हमशक्ल हो । मंजरी यह सुनकर चुप हो जाती है और वह किसी से कुछ नहीं कह पाती है फिर वह चुपचाप वह कर इस सगाई को देख रही है और बर्फी देवी की जीत होते हुए देख रही है । पर वह मन में ठान कर बैठी है कि किसी भी सूरत में बर्फी देवी को सलामत परिवार को बर्बाद नहीं करने देगी बर्फी देवी का मकसद सिर्फ इस इलाहाबाद परिवार को बर्बाद करना ही है, वह ईशा को मोहरा बनाकर इस परिवार को तबाह करने आई है पर मंजरी ऐसा कभी नहीं होने देगी ।अहलावत परिवार को बचाने के लिए मंजरी क्या करेगी? और कैसे अपने बच्चे को मानुषी से वापस लेकर आएगी ? या जानने के लिए आप हमारे अगले अपडेट को पढ़ते रहिए, और कैसी लगी हमारी आज की यह आर्टिकल हमें कमेंट करके जरूर बताइए।