
हाल फिलहाल के दिनों की फिल्मों में फिल्म ‘फोन भूत’ एक ऐसी फिल्म रही है जिसका ट्रेलर और पहला गाना देखने के बाद इसे लेकर जो कुछ भी सोशल मीडिया पर रिलीज हुआ, देखने का मन ही नहीं किया। पंजाबी गाने पर नाचते भूत और उनके साथ कदमताल करते सिद्धांत चतुर्वेदी और ईशान खट्टर का ख्याल आते ही मन करता है कि काश यादों का चैनल भी बदला जा सकता।
फिल्म ‘फोन भूत’ के ट्रेलर लांच पर जब इसके लेखकों रवि शंकरन और जसविंदर सिंह बाथ को भी मंच पर बुलाया गया तो दिल ये सोचकर खुश हुआ कि चलो, फिल्म लेखकों के दिन बहुरने वाले हैं। लेकिन, ट्रेलर के तुरंत बाद उस दिन जो गाना दिखाया गया था, उसने उसी दिन फिल्म का भविष्य भी बता दिया।

पुरानी हिंदी हॉरर फिल्मों की याद दिलाती है कटरीना कैफ की ‘फोन भूत’
जब दो जॉनर को मिलाकर कोई कहानी बनाई जाती है, तो उसमें दोनों जॉनर के बीच सतुंलन होना आवश्यक है। मिर्जापुर वेब सीरीज का निर्देशन कर चुके गुरमीत सिंह की इस फिल्म में कॉमेडी तो है, लेकिन हॉरर गायब है। डरते हुए हंसाने वाले पल कम ही आते हैं। फिल्म का क्लाइमेक्स पुरानी हिंदी हॉरर फिल्मों की याद दिलाती है, जिसमें एक हवेली में तांत्रिक हुआ करता था, जो भूतों को बोतल में कैद कर देता था या लाल आंखों वाले पुतले में भी अचानक से जान आ जाती थी। फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी निर्मित इस फिल्म में विजुअल इफेक्ट्स की गुंजाइश थी, लेकिन उस स्तर पर फिल्म निराश करती है। हालांकि भूतों के नजरिए से कई नई चीजें जोड़ी गई हैं, जैसे बांग्ला बोलने वाली चुड़ैल बनी शीबा चड्ढा का चरित्र कहता है कि वह फ्रीलासिंग करके थक गई है, अब वह भूतों के ग्रुप से जुड़ना चाहती हैं या फिर आत्मा को घेरने के लिए सफेद आटे की जगह फोम से सफेद लाइन बनाकर गुल्लू का उसे पार न करने की चेतावनी देना।

Movie Rating : 3
आ सकता है ‘फोन भूत’ का सीक्वेल
चाहे चुड़ैल का चरित्र हो या इंसानों का फिल्म के लेखकों ने उन्हें अलग-अलग जाति और भाषा का बनाकर राष्ट्रीय एकीकरण का संदेश देने की नाकाम कोशिश की है। बैकग्राउंड में कई जगहों पर हिंदी फिल्मी गानों की बजाय दमदार डरावने म्यूजिक की जरुरत महसूस होती है। फिल्म के अंत में सीक्वल बनने का भी संकेत है।